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मन की स्वस्छता के लिए जरुरी उत्तम शौच धर्म
प्रसन्नता के रथ पर सवारी के लिए अपनाएं उत्तम आर्जव धर्म
अहंकार को धरातल पर रखकर जीना ही मार्दव धर्म है
क्षमा के अभाव मे व्यक्ति क्रोध को जगह देता है
मैं कौन? मैं कहां से आया हूं? कब तक अपने आप को पहचान पाऊंगा?
ऐसे सार्थक होगा भगवान महावीर का जन्म कल्याणक महोत्सव
एक संकल्प मैत्री का !
bahubali bhagawan
श्रद्धा की जीत समझाती गुल्लिका अज्जि की कहानी
THE STORY OF GULIKA AZZI EXPLAINING THE VITORY OF REVERENCE
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बाहुबली भगवान
जब युग का परिवर्तन हो रहा था । मानव दुख से सुख की ओर बढ़ रहा था। भोग भूमि से कर्म भूमि की ओर काल का परिवर्तन हो रहा था। प्रजा को अब एक...
बाहुबली का तपश्चर्या
बाहुबली ने काम पर विजय पाई थी। उन्होंने आहार, भय, मैथुन और परिग्रह संज्ञाओं को नष्ट किया था। वे अ_ाइस मूल गुणों और 84 लाख उत्तरगुणों का...
बाहुबली का तपश्चर्या और आध्यात्मिक वैभव प्रेरणादायक
आचार्य जिनसेनाचार्य ने बाहुबली भगवन के तप के बारे में आदिपुराण में वर्णन किया, उसके कुछ अंशों पर दृष्टि डालते हैं। उन्होंने एक वर्ष तक...
प्रभु का अवतरण सार्थक करें
सदियों से गोम्मटेश बाहुबली भगवान मानव जगत को स्वावलंबन से स्वतंत्रता और कत्र्तव्यबोध का संदेश दे रहे हैं। उनके महामस्तकाभिषेक की बारह...
गोम्मटेश्वर : जन-जन की अनुभूति
-मूर्ति ऐसी सुंदर है कि चाहे आप मीलों दूर से देखिए, चाहे नजदीक आकर, उसके सभी अंग ऐसे अनुपात में बनाए मालूम होंगे कि कहीं कुछ भी कमी...
पूज्य श्री शांति सागर जी महाराज का श्रवणबेलगोला आगमन मुनि पूज्य सागर महाराज
वर्तमान समय में दिगंबर मुनियों की परंपरा को स्थापित करने वाले बीसवीं सदी के प्रथम दिगंबराचार्य 108 श्री शांति सागर जी महाराज सन् 1925 में...
गोम्मट स्तुति : एक परिचय- अंतर्मुखी मुनि श्री 108 पूज्य सागर महाराज
प्रसिद्ध जैनाचार्य नेमिचंद्र सिद्धांत चक्रवर्ती ने इस स्तुति की रचना की थी। आचार्य नेमिचंद्र दक्षिण भारत के निवासी और गोम्मटेश्वर स्वामी...
बाहुबली प्रतिमाएं
श्रवणबेलगोला में पाई जाने वाली अन्य सैकड़ों सुंदर मूर्तियों का महत्व बड़े पहाड़ की विराट मूर्ति की वजह से अंशत: धुंधला पड़ गया है, लेकिन...
अंतरंग की बात -अंतर्मुखी मुनि श्री 108 पूज्य सागर महाराज
श्रवणबेलगोला से मेरा रिश्ता ठीक वैसा ही है, जैसा एक पिता का अपने पुत्र और एक मां का अपने बच्चे से होता है। श्रवणबेलगोला को अगर मां की...
श्रवणबेलगोला मठ और चारुकीर्तियों की परंपरा-अंतर्मुखी मुनि श्री 108 पूज्य सागर महाराज
श्रवणबेलगोला मठ कब अस्तित्व में आया, इसके सम्बन्ध में स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलते। 12वीं सदी से लेकर 19वीं सदी तक के शिलालेखों में...
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