मन की स्वस्छता के लिए जरुरी उत्तम शौच धर्म
- अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
- Sep 16, 2018
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आज का धर्म उत्तम शौच

जीवन में साफगोई और स्वच्छता बडे मायने रखती हैं। स्वच्छता को ही जीवन में उतारने का भाव दर्शाता है दसलक्षण पर्व का चौथा दिन। यानी उत्तम शौच धर्म। जीवन में फैली मनीनता को दूर करना ही उत्तम शौच धर्म का पालन करना है। ऐसी गंदगी जीवन में कदम दर कदम मिलती है। देखा जाए तो मलीनता को शरीर में प्रवेश करने का जरिया शरीर की कुछ घाणेंद्रियां ही हैं, मसलन आंख, नाक,कान, जिह्वा और चमडी। आंखों ने परिवार के किसी के पास कोई अच्छी देखी वह हमारे काम की भी नहीं पर उसे लेने का इच्छा प्रकट हो जाती है, बस आंखों ने लोभ की गन्दगी अपने अन्दर जगह दे दी। कानों ने सुना कि सोने का भाव कम हो गया है, तुरंत विचार आता है क्यों ना सोना खरीद लें, जब भाव बढेगा तब वापस बेच देंगे। बस इसी प्रकार से नाक, चमडी और जिह्वा भी जीवन में लालच लोभ की मलीनता से जीवन को भर देती है। इन सभी भावों को त्यागकर ही हम जीवन में खूबसूरती को पल्लिवत कर सकते हैं। आज का जाप ऊँ ह्रीं उत्तम शौच धर्मांगाय नम: 17 सितम्बर,2018

















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