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क्षमा के अभाव मे व्यक्ति क्रोध को जगह देता है

आज का धर्म उत्तम क्षमा


पर्व उल्लास का प्रतीक होते हैँ। पर्व हैं तो संस्कृति है और संस्कृति है तो उमंग है, उत्साह है। दस लक्षण पर्व का आगाज उस समय हुआ था जब मानव दुःख से सुख की और कदम बढ़ा रहा था। उसी ख़ुशी में दस दिन तक भक्ति आराधना का क्रम प्रारम्भ हुआ । पहला दिन उत्तम क्षमा का दिन है । क्षमा से व्यक्ति को इस भव के साथ अगले भव में सुख मिलता है । जीवन के हर कार्य के साथ क्षमा होना आवश्यक है तभी वह अपने आप को संकट से बचा सकता है । जीवन में सुख शान्ति और समृद्धि धारण कर सकता है । परिवार ,आफिस,दोस्त के विवादों से बचने के लिए उनके हर कार्य के प्रति क्षमा का भाव धारण करना जैसे परिवार में किसी ने आप को यह कहा दिया की कोई काम का नहीं तो उस समय क्षमा धारण कर यह सोचना की पाप का उदय है तो आप विवादों से बच जायेंगे और परिवार में शान्ति बनी रहेगी । इस तरह आफिस और दोस्तों के बारे में सोच लोगे तो झगड़े और क्रोध से बच जाओगे। वास्तव में क्षमा करने से अधिक लाभ क्षमा को धारण करने से परिणाम और भाव विशुद्ध होते है । क्षमा के अभाव में व्यक्ति क्रोध को जगह देता है और जीवन को संकट में डाल देता है। यह पर्व आत्मशुद्धि का भी कहा जा सकता है। जब आपकी आत्मा पवित्र और शुद्ध होगी तो आपका मन भी प्रसनन रहेगा। आज का जाप – ऊँ ह्रीं उत्तम क्षमा धर्मांगाय नम:

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