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महामस्तकाभिषेक के लिए जर्मन तकनीक से तैयार हुआ 12 करोड़ का मंच





मजबूत ऐसा की 5000 लोग एक साथ बैठ सकेंगे


350 टन लोहे का इस्तेमाल, पानी से भी जंग नहीं लगेगी


मुनि पूज्य सागर महाराज


समय के साथ महामस्तकाभिषेक के लिए निर्माण होने वाले मंच का स्वरूप, सुन्दरता, क्षमता, सुरक्षा की दृष्टि से विकसित होती ही गई है। हालांकि इसी के साथ खर्च भी बढ़ता गया। पहले लकड़ी, लोहे आदि का मंच बनाया जाता था पर 2018 में जर्मनी तकनीक से बने मंच की विशेषता, क्षमता और सुन्दरता व उसकी मजबूती के बारे कुछ खास है। महामस्तकाभिषेक में भगवान बाहुबली के मंदिर में कलश अभिषेक के लिए एक भव्य मंच का निर्माण किया गया है।


इस मंच के निर्माण का काम अक्टूबर 2016 से शुरु किया गया। मंच निर्माण में 12 करोड़ रुपए का खर्च आया। मंच का निर्माण जर्मनी की लेहर तकनीक से किया गया, जो कि जर्मन की “लेहर” कंपनी द्वारा निर्मित है। खुद जर्मन अधिकारी इसके लिए आए थे। वहीं कर्नाटक सरकार की एक टीम के निर्देशन में मंच बनाया गया है। इस मंच को बनाने में जो 12 करोड़ का बजट लगा है वह भी कर्नाटक सरकार ने दिए हैं।


इसकी ऊंचाई 70 फीट है। निर्माण से पूर्व इसका एक छोटा मॉडल तैयार किया गया था। जो कि जिला कलक्टर ऑफिस हासन में बनाया गया था। इस दौरान बेंगलुरु से इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस के कुछ प्रोफेसर्स को भी बुलाया गया था। उनके द्वारा निर्माण कार्य में सहमति के बाद ही निर्माण को आगे बढ़ाया गया।


मंच निर्माण में “रॉट आयरन” का इस्तेमाल किया गया है। यह आयरन गैल्वेनाइज्ड स्टील से निर्मित पिलर है, जिस पर बारिश के पानी से भी जंग नहीं लगती। निर्माण के उपयोग में आने वाली साम्रगी को सालों बाद पुन: उपयोग किया जा सकता है । प्लेटफॉर्म के निर्माण में प्लायवुड का इस्तेमाल किया गया है। इसके ऊपर रबर का लेमिनेशन है ताकि पानी या किसी भी द्रव्य के इस पर गिरने से कोई फिसलन नहीं हो। 350 टन मटेरियल का उपयोग किया गया और करीब 350 टन ही गैल्वेनाइज्ड आयरन का उपयोग किया गया। मंच को बनाने के लिए

वेज लॉक तकनीक का प्रयोग किया गया है ( वेज लॉकः दो भागों को जोड़ने के लिए एक प्रकार का टुकड़ा है)। वेज लॉक “नट बोल्ट” की तरह कभी भी ढीला नहीं होता व इसमें किसी तरह की कोई वेल्डिंग नहीं की गई है।


पिछले महामस्तकाभिषेकों में मंच निर्माण कार्य में बहुत दिक्कतें आती थीं और समय भी ज्यादा लगता था। इस वर्ष अक्टूबर में शुरू हुआ और 1 जनवरी तक पूरा तैयार हो गया। लगभग 200 मजदूर व अन्य सहायकों की टीम लगी रही है।


मंच पर लगभग 5000 श्रद्धालुओं के बैठने की व्यवस्था की गई है। इस मंच की क्षमता इस से भी अधिक है। प्लेटफार्म को पिछले दो बार बनाए गए प्लेटफार्म से थोड़ा बढ़ाकर बनाया गया है। इस प्लेटफार्म की भार क्षमता बहुत ज्यादा है जो करीब 500 किलोग्राम प्रति वर्ग किलोमीटर बताई गई है। प्लेटफार्म पर दो लिफ्ट का निर्माण भी किया गया है इसका प्रयोग सिर्फ असमर्थ जन, बुजुर्गों व सामान की आवाजाही के लिए होगा।


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