गोम्मटेश्वर भगवान बाहुबली के महामस्तकाभिषेक में सम्पूर्ण भारत वर्ष के आचार्य, मुनि-भगवंतों की उपस्थिति सम्पूर्ण विश्व के सामने यह प्रदर्शित करती है कि भगवान बाहुबली की हजारों वर्ष प्राचीन यह प्रतिमा आज भी अपने समान दिगम्बर साधुओं के लिए आदर्श है क्योंकि भगवान बाहुबली केवल मूर्ति नहीं हैं। उनके अनुयायी दिगम्बर मुनि आज भी उनके द्वारा अपनाए गए मार्ग पर चलकर तत्वों को अपने जीवन में उतारकर यह सिद्ध कर रहे हैं कि भगवान बाहुबली का धर्म केवल किताबों की शोभा या केवल सिद्धांत नहीं है। ये मुनिगण आज भी भगवान बाहुबली के पथ को आलोकित कर विश्व को जीवंत प्रतिमाओं के रूप में सन्देश दे रहे हैं। पूज्य जगत्गुरु कर्मयोगी स्वस्तिश्री चारुकीर्ति भट्टारक महास्वामी जी, श्रवणबेलगोला [if !supportLineBreakNewLine] [endif]