प्र तिष्ठा के बाद बाहुबली भगवान का महामस्तकाभिषेक होने वाला था तो सबसे पहले जल का अभिषेक हुआ। उसके बाद दूध का अभिषेक होने लगा तो घुटने से नीचे दूध नहीं आ रहा था। जब एक बुढिय़ा नारियल की कटोरी में दूध लेकर आई, तब सब उसका मजाक उड़ाने लगे पर जब आचार्य श्री नेमीचंद्र सिद्धांत चक्रवर्ती जी की दृष्टि उस पर पड़ी तो आचार्य ने कहा कि उसे जाने दो। उस बुढिय़ा के अभिषेक करते ही दूध की धार घुटने से नीचे बहने लगी। नीचे दूध का एक तालाब भर गया। जब चामुंडराय उस बुढिय़ा को देखने पहुंचे तो तब तक वह बुढिय़ा वहां से जा चुकी थी। चामुंडराय ने आचार्य श्री से पूछा कि वह बुढिय़ा कहां गई, तब आचार्य ने कहा कि वह कुष्मांडणी देवी ही थीं, जो बुढिय़ा का रूप लेकर आई थीं। चामुंडराय! कहीं तुम्हें मूर्ति निर्माण करवाने के बाद यह अहंकार न जाए कि प्रथम महामस्तकाभिषेक मैंने किया है, इसलिए यह घटना घटी है । इसी स्मृति को बनाए रखने के लिए चामुंडराय ने गुल्लिका अज्जी की एक मूर्ति बाहुबली मंदिर के मुख्यद्वार के सामने स्थापित करवा रखी है। [if !supportLineBreakNewLine] [endif]